खड़े रहे, लड़े रहे !!

लड़के ! हमेशा खड़े रहे
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही
बस उन्हें कहा गया हर बार
चलो तुम तो लड़के हो
खड़े हो जाओ

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे
कक्षा के बाहर.. स्कूल विदाई पर

जब ली गई ग्रुप फोटो,
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे
वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..

कॉलेज के बाहर खड़े होकर,
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,
एक झलक, एक हाँ के लिए
अपने आपको आधा छोड़ वे आज भी
वहीं रह गए हैं…

बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे,
मंडप के बाहर बारात का स्वागत करने के लिए
खड़े रहे रात भर हलवाई के पास,
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे
खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए

खड़े रहे विदाई तक
दरवाजे के सहारे और टैंट के
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक
बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी
वे खड़े ही मिलेंगे…
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर,
बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर वे खड़े रहे

बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर
वे खड़े रहे

माँ के ऑपरेशन के समय
ओ. टी.के बाहर घंटों. वे खड़े रहे

पिता की मौत पर
अंतिम लकड़ी के जल जाने तक
वे खड़े रहे ,
अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी में

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं…..?

गौरैया !!

माँ भोर में उठती है कि
माँ के उठने से भोर होती है
ये हम कभी नहीं जान पाये

बरामदे के घोसले में
बच्चों संग चहचहाती गौरैया
माँ को जगाती होगी
या कि माँ की जगने की आहट से
शायद भोर का संकेत देती हो गौरैया

हम लगातार सोते हैं
माँ के हिस्से की आधी नींद
माँ लगातार जागती है
हमारे हिस्से की आधी रात

हमारे उठने से पहले
बर्तन धुल गये होते हैं
आँगन बुहारा जा चुका होता है
गाय चारा खा रही होती है
गौरैया के बच्चे चोंच खोले चिल्ला रहे होते हैं
और माँ चूल्हा फूंक रही होती है

जब हम खोलते हैं अपनी पलकें
माँ का चेहरा हमारे सामने होता है
कि माँ सुबह का सूरज होती है
चोंच में दाना लिए गौरैया होती है।

यहीं-कहीं है!!

अधूरे मन से ही सही
मगर उसने तुझसे मन की बात कही

पुराने दिनों के
अपने अधूरे सपने
तेरे कदमों में
ला रखे उसने
तो तू भी सींच दे उसके
तप्त शिर को अपने
आँसुओं से

डाल दे उस पर
अपने आँचल की छाया
क्योंकि उसके थके-माँदे दिनों में भी
उसे चाहिए एक मोह माया

मगर याद रखना
पहले-जैसा
उद्दाम मोह
पहले-जैसी
ममत्व भरी माया
उसके वश की
नहीं है

ज्यादा जतन नहीं है ज़रूरी
बस उसे
इतना लगता रहे

कि उसके सुख-दुःख को
समझने वाला
यहीं-कहीं है!

हम सब एक जैसे नहीं थे !!

हम बहुत आम जगहों से आए थे
बहुत आम जगहों पर रहे
बहुत आम जगहों पर पढ़े
और बेहद आम जगहों पर खाया
जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते थे
हमारी जेब में कुछ सिक्के खनकते थे

हम सब एक जैसे नहीं थे
फिर भी हम शामिल थे रेस में
एक ऐसे घोड़े की तरह
जिसकी टाँगों पर
पूरे खानदान की उम्मीदों का बोझ टिका था
और वह बोझ इतना था कि
थोड़ा और बढ़ते ही
हम चटक सकते थे
टूट सकते थे, बिखर सकते थे।

हमारे पास खोने को नींदें थीं
औ‌र‌ बेचने को सपने
इसके अलावा कुछ और नहीं
जिसे दाव पर लगा सकते।
हमने पढ़ीं रात भर किताबें
और लड़े सपनों के लिए
कितना कुछ और था‌ जो हम कर सकते थे
पर मारे गए दूसरों की उम्मीदों पर ख़रा उतरते हुए।

तेरा जवाब ले बैठा…

मुझको तेरा शबाब ले बैठा,
रंग गोरा, गुलाब ले बैठा.

कितनी पी ली, कितनी बाकी है,
मुझको यही हिसाब ले बैठा.

अच्छा होता सवाल न करता,
मुझको तेरा जवाब ले बैठा.

फुर्सत जब भी मिली है कामों से,
तेरे मुख की किताब ले बैठा.

मुझे जब भी तुम हो याद आए,
दिन दहाड़े शराब ले बैठा.

haar rha hu..

ek kashmkash si hmesha reh gyi, shayad main bayan nahi kr paa rha hu..
lagta hai kuch adhura sa reh gya hai, shayad use pura nahi kar paa rha hu..
jiske liye apni khud ki zindagi bhi ek choti si lage use ye ehsas bhi nahi dila pa rha hu..
uski zindagi ke liye saari khushiyan bator kar, shayad uss tak pahucha nahi paa rha hu..
main uske saath har kadam har jagah khada huwa hu, uske liye ek naya jeevan bunn rha hu..
aisa nahi hai ki use sb kuch khud jhelna hai, lekin kya uska saath nibha paa rha hu..
jb bhi uska ye kehna ki tmhe kuch faraq nahi padta, kya use smjhaa paa rha hu..
uske liye samundar jitna Karna ki chah me, shayad ek boond bhi nahi kar paa rha hu..
ek bhavishya ke sapne ko sakkar karne k liye, kya apne or uske aaj ko jee paa rha hu..
pta nahi kitna aage badh rha hu, lekin shayad Khud ki hi ladayi me haar rha hu..

Handwriting vs Keyboard

aaj pura din keyboard pe type krte krte, jab shaam ko baitha to hathon me kuch dard ka ehsas huwa..

Ye dard kuch waise hi mehsus huwa.. “jab school me meri hand-writing kharab ya padhi na jaane wali hone ki wajah se teacher meri ungliyon ke beech pencil fsaa kar dabaa diya karti thi”

Kuch gussa.. or kuch daya.. bhi aayi uss naadan teacher pe jo aaj keyboard chalane me asamarth hai.. 🙏

#why? #handwriting #keyboard

Sath chal sako to chalo…

Tez hai raftar meri, sath chal sako to chalo!

Thakhti ni tez duphari main bhi, dhup sah sako to chalo!

Irado ka to pata ni, pr pagalpan sawar hai,

Us pagalpan ko samjh sako, to chalo!

Bhukh hai jeene ki mujhe, zindagi utani jee sako to chalo!

Rukti nahi tez tufan main bhi, kadam badha sako to chalo!

Chahte asaman main udh jane ki hai,

Un chahto ko pankh de sako, to chalo!

Safar hai zindagi mere liy, lagatar isme chal sako to chalo!

Darti nahi tez nadhi ki dhara main bhi, Saath utna bah sako to chalo!

Dekhna hai nadhi kitni gahari hai,

Mere sath uski gahrai naap sako to chalo!

Ek pal hi hai zindagi, Agle pal ki tammana na kro to chalo!

Ek din katam hona hi hai, ye jaan sako to chalo!

Har pal akhiri samjh k jeena hai

Agle pal khush ho kar katam ho sako to chalo!

  • By:: Vaidika Saxena